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लखीमपुर खीरी कांड के बाद चर्चा में आया तिकुनिया आखिर क्यों है चुप

: तकरीबन चार महीने पहले तिकुनिया नाम तब सुर्खियों में आया था, जब गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी (Ajay Mishra Teni) के बेटे अजय मिश्र 'मोनू' पर किसानों पर गाड़ी चढ़ाने का आरोप लगा था। तीन किसानों की मौत हो गई थी। हिंसा में भाजपा (BJP) के भी तीन समर्थक मारे गए थे। मंत्री का आरोपित बेटा अब जेल में है। तिकुनिया, जो उस समय बेहद आग बबूला थी, वह चुनाव के मौसम (UP Elections 2022) मे फिलहाल चुप है। इस घटना के गवाहों में शामिल रहे एक शख्स से जब उनका नाम पूछा जाता है तो वह खुद को पंजाब का बताते हुए किनारे हट जाते हैं। इन शख्स को गवाही देने के बाद सुरक्षा दी गई है। इलाके में भाजपा समर्थक राशन, कानून व्यवस्था जैसी बातों को करते हुए दावा करते हुए कह रहे हैं कि, माहौल उनके पक्ष में है। तिकुनिया ही नहीं, निघासन के ज्यादातर इलाके में वे लोग तो मुखर हैं, जो सरकार के पक्ष में हैं, लेकिन सरकार के कामकाज से नाखुश लोग चुप हैं। बस इशारों में कभी कामकाज ठप हो जाने की बात कह देते हैं तो कभी यह बताकर खामोश हो जाते हैं कि उनके इलाके की सूरत जस की तस है। इसके आगे वे कुछ भी बोलने को तैयार नहीं। कुल मिलाकर, तिकुनिया अभी अपने पत्ते खोलने को तैयार नहीं है। बदल गया है राजनीतिक माहौल लखीमपुर (Lakhimpur Kheri) में आठ विधानसभा सीटें हैं, लेकिन जिस सीट पर लोगों की सबसे ज्यादा निगाह है, वह है निघासन। यहां से मंत्री के बेटे आशीष मिश्र टिकट के दावेदार थे, लेकिन अक्टूबर में हुए तिकुनिया कांड ( Incident) के बाद यहां का राजनीतिक माहौल काफी कुछ बदल गया है। तिकुनिया घटना स्थल से कुछ ही दूरी पर तिकुनिया रेलवे स्टेशन है। स्टेशन से सटे बाजार में मौजूद किशन कुमार कहते हैं कि माहौल भाजपा के पक्ष में है। अब तिकुनिया हिंसा यहां का मुद्दा नहीं है। लोग सरकार के कामकाज से खुश हैं। मुफ्त राशन को वह गरीबों के लिए राहत बताते हैं। साथ ही कानून व्यवस्था बनाए रखने को सरकार की बड़ी उपलब्धि। तेजी सिंह कहते हैं कि, यहां के विधायक को तो बस छह महीने ही काम करने को मिले, लेकिन सरकार की बात करें तो लोग उसके कामकाज से संतुष्ट हैं। नेपाल बंद-बिजनेस बंद सतीश कुमार की मोबाइल की दुकान है। वह कहते हैं कि चुनाव कोई भी हो, तिकुनिया की हालत जस की तस रहती है। जैसी तिकुनिया पहले थी, वैसी ही अब भी है। वह कहते हैं कि किसी ने कुछ नहीं करवाया। तीन किलोमीटर दूरी पर गृह राज्यमंत्री का घर है। वहां भी जाकर देखा जा सकता है कि क्या किया उन्होंने। काम-धंधे की बाबत वह कहते हैं कि धंधा चौपट हो गया है। नेपाल बंद तो धंधा बंद। नेपाल बॉर्डर (Nepal Border) फिलहाल बंद हैं। श्रवण कुमार भी कहते हैं कि चीजें कुछ अच्छी नहीं हुईं, बाकी वोटर अपनी बात जानें कि उसे किसे और क्यों वोट करना है। हर जगह चुनावी चर्चा तिकुनिया घटना स्थल के पास ही टायर चौराहा है। चौराहे के ठीक किनारे छप्पर के नीचे कुछ लोग जमा हैं। ऐसे ही बाकी जगहों पर अलाव जल रहे हैं और उनके किनारे बैठे लोग गर्म होते राजनीतिक माहौल पर चर्चा में मशगूल हैं। यहीं पर बैठे अशफाक कहते हैं कि सरकार के दो चेहरे हैं। एक दिखावे का और एक असली। यही वजह है कि इस सरकार का कामकाज बिल्कुल भाया नहीं। गाय को लेकर बातें बड़ी-बड़ी हैं, लेकिन योजना कोई नहीं। छुट्टा जानवर इस ठंडी में लोगों के एक्सिडेंट का कारण भी हैं और फसलें भी बर्बाद कर रहे हैं। रजनीश गुप्ता कहते हैं कि दूसरे दल जो चुनावी वादा कर रहे हैं, सरकार में बैठे लोग उनका मखौल बना रहे हैं, लेकिन अपनी मुफ्त की चीजों को उपलब्धि बता रहे हैं।


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