तीन कश्मीरी प्रवासियों को खाली करना होगा सरकारी क्वार्टर, केंद्र के ऐक्शन से दिल्ली HC ने नहीं दी राहत

नई दिल्ली : रिटायरमेंट के बाद भी सरकारी आवास में बने रहने देने या वैकल्पिक आवास मुहैया कराने की मांग लेकर दिल्ली हाई कोर्ट पहुंचे तीन कश्मीरी प्रवासियों को यहां से कोई राहत नहीं मिली। कोर्ट ने निर्देश दिया कि वे लक्ष्मीबाई नगर, साउथ मोती नगर और मयूर विहार फेस-2 में आवंटित सरकारी क्वॉर्टर को 31 मार्च तक खाली कर दें। याचिकाकर्ताओं ने केंद्र सरकार की जिस योजना को आधार बनाकर यह मांग उठाई थी, उसके बारे में हाई कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता उस योजना में कवर नहीं होते हैं, क्योंकि वो केवल ऐसे सरकारी कर्मचारियों के लिए है, जो उस वक्त श्रीनगर में तैनात थे और 1 नवंबर 1989 के बाद उन्हें सुरक्षा कारणों से श्रीनगर से दिल्ली में ट्रांसफर किया गया था। जस्टिस वी. कामेश्वर राव की बेंच ने सुशील कुमार धर, सुरिंदर कुमार रैना और पी. कृष्ण कौल की याचिका खारिज की। उन्हें निर्देश दिया कि वे 31 मार्च तक या उससे पहले आवंटित सरकारी आवास खाली कर दें। कोर्ट ने कहा कि मौजूदा केस में याचिकाकर्ताओं में से किसी को भी संबंधित योजना के तहत श्रीनगर से दिल्ली में ट्रांसफर नहीं किया गया था। याचिकाकर्ता की दलीलों में कोर्ट को कोई मेरिट नजर नहीं आया। कोर्ट ने इन्हें संबंधित योजना के तहत लाभ के लिए अयोग्य पाया। कहा कि केंद्र की कार्रवाई को गलत नहीं कहा जा सकता है। याचिकाकर्ता अलग-अलग सरकारी क्षेत्रों में काम करते हुए रिटायर हुए हैं। उन्होंने सरकारी क्वॉर्टर खाली करने के लिए कहे जाने को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। तीनों कश्मीरी प्रवासी हैं। घाटी में आतंकवाद और अलगाववाद की वजह से आज भी तनाव होने की बात कहते हुए याचिकाकर्ताओं ने यहीं पर बने रहने देने के लिए दावा पेश किया था।
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