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दुनिया में पहली बार HIV से ठीक हुई कोई महिला, Cord blood से हुआ इलाज, जानिए इसके बारे में सबकुछ

एचआईवी/एड्स (HIV/Aids) एक खतराक बीमारी है और इसका कोई स्थायी इलाज नहीं है। लेकिन अब लगता है कि एड्स का इलाज हो सकता है। डेनवर में अमेरिकी शोधकर्ताओं ने एक नोवल स्टेम सेल ट्रांसप्लांट मेथड का उपयोग करके पहली बार एक महिला में एचआईवी का इलाज (HIV treatment) करने में सफलता का दावा किया है। एचआईवी से ठीक होने वाली यह दुनिया की तीसरी इंसान है। इस महिला से पहले दो पुरुष एड्स से ठीक हुए हैं, जिनका इलाज अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण यानी बोन मैरो ट्रांसप्लांट (Bone Marrow Transplant) से किया गया था।बताया जा रहा है कि महिला ल्यूकेमिया (Leukemia) से पीड़ित थी और उसका इलाज एक नए मेथड का उपयोग करके किया गया था जिसमें गर्भनाल का रक्त यानी अम्बिलिकल कॉर्ड ब्लड (umbilical cord blood) शामिल था। इसका उपयोग अक्सर अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण में किया जाता है। अम्बिलिकल कॉर्ड स्टेम को प्राप्तकर्ता के साथ उतनी निकटता से मिलान करने की आवश्यकता नहीं है जितनी बोन मैरो सेल्स करती हैं।

HIV ka ilaj: एचआईवी के इलाज से ठीक होने वाली यह दुनिया की तीसरी इंसान है इससे पहले दो लोगों को बोन मैरो ट्रांसप्लांट से इलाज हो चुका है। डॉक्टरों को उम्मीद है कि भविष्य में इस तकनीक से बहुत से लोगों का इलाज संभव हो सकेगा।


AIDS treatment: दुनिया में पहली बार HIV से ठीक हुई कोई महिला, Cord blood से हुआ इलाज, जानिए इसके बारे में सबकुछ

एचआईवी/एड्स (HIV/Aids)

एक खतराक बीमारी है और इसका कोई स्थायी इलाज नहीं है। लेकिन अब लगता है कि एड्स का इलाज हो सकता है। डेनवर में अमेरिकी शोधकर्ताओं ने एक नोवल स्टेम सेल ट्रांसप्लांट मेथड का उपयोग करके पहली बार एक महिला में एचआईवी का इलाज (HIV treatment) करने में सफलता का दावा किया है।

एचआईवी से ठीक होने वाली यह दुनिया की तीसरी इंसान है। इस महिला से पहले दो पुरुष एड्स से ठीक हुए हैं, जिनका इलाज अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण यानी बोन मैरो ट्रांसप्लांट (Bone Marrow Transplant) से किया गया था।

बताया जा रहा है कि महिला

ल्यूकेमिया (Leukemia)

से पीड़ित थी और उसका इलाज एक नए मेथड का उपयोग करके किया गया था जिसमें गर्भनाल का रक्त यानी

अम्बिलिकल कॉर्ड ब्लड (umbilical cord blood)

शामिल था। इसका उपयोग अक्सर अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण में किया जाता है। अम्बिलिकल कॉर्ड स्टेम को प्राप्तकर्ता के साथ उतनी निकटता से मिलान करने की आवश्यकता नहीं है जितनी बोन मैरो सेल्स करती हैं।



14 महीने से बिल्कुल स्वस्थ है महिला
14 महीने से बिल्कुल स्वस्थ है महिला

इस इलाज के मिलने के बाद महिला 14 महीने से बिल्कुल स्वस्थ है और उसमें कोई लक्षण नहीं देखे जा रहे हैं। खास बात यह है कि उसे अब एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी भी नहीं दी जा रही है। महिला में साल 2013 में एचआईवी का पता चला था और तब से उसे एंटीरेट्रोवाइरल दवाएं दी जा रही थी। मार्च 2017 में उसे एक्यूट मायलोजेनस ल्यूकेमिया का पता चला था और उसी वर्ष अगस्त में कॉर्ड ब्लड ट्रांसप्लांट हुआ।



कोशिकाओं में एचआईवी के प्रवेश को रोकता गर्भनाल रक्त
कोशिकाओं में एचआईवी के प्रवेश को रोकता गर्भनाल रक्त

न्यूयॉर्क के वेइल कॉर्नेल मेडिसिन में संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ मार्शल ग्लेस्बी बताया कि

महिला रोगी को एक डोनर से गर्भनाल रक्त प्राप्त हुआ था, जो कोशिकाओं में

एचआईवी

के प्रवेश को रोकता है। लेकिन गर्भनाल रक्त कोशिकाओं को संलग्न होने में लगभग छह सप्ताह का समय लग सकता है, इसलिए उसे प्रथम श्रेणी के रिश्तेदार से आंशिक रूप से मेल खाने वाली रक्त स्टेम कोशिकाएं भी दी गईं।



हर साल 50 रोगियों का हो सकता है इलाज
हर साल 50 रोगियों का हो सकता है इलाज

इलाज में शामिल डॉक्टरों में से एक डॉ कोएन वैन बेसियन ने बताया कि एचआईवी के लिए गर्भनाल उपचार कई लोगों के लिए फायदेमंद हो सकता है। उन्होंने कहा कि हमारा अनुमान है कि अमेरिका में प्रति वर्ष लगभग 50 रोगियों को इससे लाभ हो सकता है।



बॉन मैरो की तुलना में ज्यादा आसान इलाज
बॉन मैरो की तुलना में ज्यादा आसान इलाज

इस मेथड का सबसे फायदा यह है कि इसका बॉन मैरो की तुलना में स्क्रीनिंग करना बहुत आसान है। मरीज का हैप्लो-कॉर्ड उपचार करने से पहले डॉक्टरों ने आनुवंशिक असामान्यता की तलाश में पहले ही हजारों गर्भनाल रक्त के नमूनों की जांच की थी।



इससे पहले दो लोगों का हुआ एड्स का इलाज
इससे पहले दो लोगों का हुआ एड्स का इलाज

साल 2008 में कैलिफोर्निया के टिमोथी रे ब्राउन, जिन्हें 'बर्लिन पेशेंट' के नाम से जाना जाता था, एड्स से ठीक होने वाले पहले व्यक्ति थे। उनकी पहचान 2010 में सामने आई और 2020 में ल्यूकेमिया से उनकी मृत्यु हो गई। दूसरे मरीज एडम कैस्टिलेजो, जिन्हें 'लंदन पेशेंट' के रूप में जाना जाता था, साल 2019 में एड्स से ठीक होने वाले दूसरे स्थान व्यक्ति थे।





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