ताकि एक ही साथ गर्भवती मां और बच्चे को डायबिटीज न हो, Doctor की इन 4 बातों का रखें ध्यान
गर्भावस्था (Pregnancy) हर महिला के लिए एक खास अहसास होता है। इस दौरान शरीर में कई तरह के बदलाव आते हैं। कई बार तो यह बदलाव कुछ गंभीर बीमारियों को भी जन्म दे देते हैं। उन्हीं बीमारियों में से एक जेस्टेशनल डायबिटीज (Gestational Diabetes) भी है। जेस्टेशनल डायबिटीज एक ऐसी स्थिति है, जिसमें गर्भावस्था के दौरान महिलाओं का ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है। गर्भावस्था के दौरान पहली बार इसका निदान किया जाता है। जेस्टेशनल डायबिटीज अक्सर हाई ब्लड शुगर का कारण बनती है, जिससे आपकी गर्भावस्था और बच्चे का स्वास्थ्य बुरी तरह से प्रभावित होता है। हालांकि गर्भावस्था के दौरान स्वस्थ आहार खाने, व्यायाम करने और जरूरी हो तो दवा लेने से जेस्टेशनल डायबिटीज को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है। वैसे तो बच्चे को जन्म देने के बाद जेस्टेशनल डायबिटीज की समस्या दूर हो जाती है। लेकिन अगर आप पहले से ही जेस्टेशनल डायबिटीज से ग्रसित हैं, तो आपको टाइप-2 डायबिटीज होने की संभावना ज्यादा है।28 मई को इंटरनेशनल विमेंस हेल्थ डे (International Women's Health Day) मनाया जाएगा। इस अवसर पर क्रिटीकेयर एशिया मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पीटल की ऑब्स्टेट्रिशियन ओर गायनाकोलॉजिस्ट डॉ. शिफा खान कहती हैं कि 18 साल के अनुभव में मैंने कई बच्चों को ऐसी माओं की कोख से जन्म लेते देखा है, जिन्हें वयस्कता में टाइप 2 डायबिटीज थी। जबकि एक तिहाई महिलाएं गर्भावस्था के बाद इससे पीड़ित होती हैं। चूंकि यह स्वास्थ्य स्थिति एक ही बार में मां और बच्चे दोनों के लिए गंभीर बीमारी का कारण बनती है, इसलिए इसके लक्षणों को बेहतर ढंग से समझना जरूरी है।
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