इस गलती से पुरुषों की स्पर्म क्वालिटी हो रही खराब, तेजी से बढ़ रहे नपुंसकता के मामले
आज के दौर में, आधुनिक और सामाजिक रूप से सक्रिय ऐसे व्यक्ति की कल्पना करना असंभव है, जो मोबाइल या वाई-फाई वाले कंप्यूटर का इस्तेमाल नहीं करता हो। इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज का इस्तेमाल रात को करने से कई तरीकों से मनुष्य शारीरिक और मनोवैज्ञानिक रूप से उत्तेजित हो जाता है। जिससे उनकी नींद और सेहत पर असर पड़ सकता है। केवल यही नहीं, इससे उनके शुक्राणुओं की संख्या (Sperm count) भी प्रभावित हो सकती है। नोएडा स्थित नोवा साउथेंड आईवीएफ एंड फर्टिलिटी में कंसल्टेंट और फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट डॉ पारुल गुप्ता खन्ना के अनुसार, पुरुषों मे प्रजनन क्षमता (Male infertility) कम होने या नपुंसकता (Impotence) के बड़ी संख्या में बढ़ते मामलों में ध्यान में रखकर देश के कई डॉक्टरों ने यह मानना शुरू कर दिया है कि तकनीक पर काफी हद तक निर्भर लाइफस्टाइल इसका प्रमुख कारण है। लगभग एक दशक पहले यह जानने के लिए अध्ययन किया गया था कि क्या मोबाइल फोन, लैपटॉप और यहां तक कि माइक्रोवेव्स से मनुष्य की प्रजनन क्षमता कम हो सकती है या नपुंसकता आ सकती है। कई अध्ययनों में यह पाया गया है कि मोबाइल फोन के ज्यादा इस्तेमाल और विद्युत चुंबकीय विकिरण से शुक्राणुओं की गतिशीलता पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। शुक्राणुओं की गतिशीलता से मतलब शुक्राणुओं की गतिविधि से संबंधित है। अगर शुक्राणुओं की गतिशीलता की स्थिति खराब है तो शुक्राणु उचित तरह से तैरते नहीं है, जिससे प्रजनन क्षमता में कमी या नपुंसकता की समस्या उत्पन्न होती है।
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