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चिकन-अंडे की अब नहीं जरूरत, दुबले शरीर को मोटा करेंगी ये 5 आयुर्वेदि जड़-बूटी

आयुर्वेद यह हमारा प्राचीन वैद्यकीय शास्त्र है। यह शास्त्रीय चिकित्सा पद्धति हमारे प्राचीन संस्कृति की धरोहर है। आयुर्वेद का उद्देश्य केवल रोगों को दूर करना ही नहीं बल्कि स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य का रक्षण करना भी है। आयुर्वेद एक चिकित्सापद्धति है तो उसके कुछ सिद्धांत भी है। आयुर्वेद चिकित्सा के दो प्रधान अंग है जिसमे से एक है संतर्पण और दूसरा है अपतर्पण। संतर्पण याने शरीर का पोषण करना और अपतर्पण याने शरीर में कटौती करना। संतर्पण के एक प्रकार को बृंहण कहते है जिसका मतलब होता है शरीर के वजन को बढ़ाना। तो अब सवाल यह उठता ही की इस तरह से वजन बढ़ाने की जरूरत किस व्यक्ति को होती है। आयुर्वेद के अनुसार आठ प्रकार के व्यक्तियों की निंदा की जाती है जिनमे मोटे और पतले व्यक्तियों का अंतर्भाव किया गया है। पतले व्यक्तियों में वजन कम होने से रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है और उनमें कमजोरी की शिकायत रहती है। इसलिए ऐसे पतले व्यक्तियों को अपनी सेहत सुधारने के लिए वजन बढ़ाना जरूरी होता है।

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