पेट में बढ़े पित्त की निशानी है खट्टी डकार, गैस-सीने में जलन, Ayurveda डॉ. के 3 उपाय तुरंत देंगे राहत
पाचन क्रिया के दौरान भोजन को पचाने के लिए पित्त (bile acid) की जरूरत होती है। इसे आम भाषा में तेजाब या गैस्ट्रिक एसिड (gastric acid) या डाइजेस्टिव (digestive juice) भी कहा जाता है। बेहतर पाचन के लिए इसका लेवल सही बना रहना जरूरी है जबकि इसकी मात्रा बढ़ने से आपको कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।पित्त क्या है और इसका काम क्या है? पित्त आपके लिवर में बनता है और आपके पित्ताशय की थैली में जमा होता है। यहां से भोजन को पचाने के लिए छोटी आंत में छोड़ दिया जाता है। आयुर्वेद में पित्त पाचन शक्ति या 'अग्नि' से संबंधित है। शरीर में इसका संतुलन बिगड़ने से आपको पेट से संबंधित बीमारियां होती हैं।पित्त बढ़ने के लक्षण क्या हैं? आयुर्वेद डॉक्टर दीक्षा भावसार के अनुसार, शरीर में पित्त की मात्रा बढ़ने से शरीर में गर्मी बढ़ सकती है, एसिड रिफ्लक्स, गैस, अपच, जोड़ों की सूजन, मतली, दस्त या कब्ज, क्रोध और चिड़चिड़ापन, सांस की बदबू जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं। पित्त कम करने का उपाय की बात करें, तो रोजाना खाई जाने वाली कुछ चीजें आपको इससे राहत दिला सकती हैं।
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