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प्रमोद महाजन अखबार पढ़ रहे थे तभी गेट पर कोई आया, हिटलर वाली पिस्टल से चलने लगीं गोलियां

नई दिल्ली: प्रमोद महाजन का राजनीतिक करियर उफान पर था। उनमें भाजपा का भविष्य देखा जा रहा था। तभी एक रोज साउथ मुंबई के एक अपार्टमेंट में चली तीन गोलियों ने इस दिग्गज नेता को छीन लिया। गोली उनके छोटे भाई ने ही मारी थी। उस रोज वह असलहा लेकर बिना एपाइंटमेंट भाई से मिलने आया था। जबकि प्रमोद महाजन के दिल्ली वाले घर 7, सफदरजंग रोड के दरवाजे पर स्टिकर लगा होता था, 'दोस्तों का कभी भी स्वागत है, रिश्तेदार एपाइंटमेंट लेकर मिलें।' इस गोलीकांड ने बहुत कुछ बदलकर रख दिया। तारीख थी 22 अप्रैल 2006 और वर्ली में गोदावरी अपार्टमेंट के अपने दो बेडरूम के फ्लैट में महाजन अखबार पढ़ रहे थे। सुबह 7.30 बजे थे। उन्हें पता नहीं था कि कोई दोस्त या रिश्तेदार आ सकता है। अचानक छोटा भाई दरवाजे पर था। वह मर्डर के इरादे से आया था। अगले कुछ मिनट में ब्राउनिंग .32 पिस्टल से तीन गोलियां दागी गईं और प्रमोद महाजन जमीन पर गिर पड़े। .32 पिस्टल बेल्जियम की कंपनी एफएन हर्स्टल ने बनाई थी। 1996 में प्रवीण महाजन ने इसे खरीदा था। शायद वह पिस्टल की सभी 9 गोलियां प्रमोद के सीने में उतार देता लेकिन तीन के बाद चौथी गोली मिसफायर हो गई।

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