Top Story

Opinion: एडहॉक टीचर इस उम्मीद में बरसों पढ़ाते रहते हैं कि कभी तो स्थायी होंगे, फिर नियुक्ति के समय हो जाता है 'खेल'

अजीब बात है कि दिल्ली विश्वविद्यालय में एक दशक से भी ज्यादा इंतजार के बाद असिस्टेंट प्रफेसर की स्थायी नियुक्तियां शुरू हुईं और इससे उम्मीद, खुशी का माहौल बनने के बजाय नाराजगी, आशंका और मायूसी का भाव फैलता दिख रहा है। नियुक्ति प्रक्रिया में पक्षपात और धांधली के आरोप अपने देश में नए नहीं हैं। इसलिए अगर बात उतनी ही होती तो शायद मामला इतना तूल न पकड़ता। लेकिन जितने बड़े पैमाने पर असंतोष देखा जा रहा है, उससे कई सवाल खड़े होते हैं।

from https://ift.tt/iEM6esm https://ift.tt/0qLwszv