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दास्तानः कांग्रेस में लौटना चाहते थे जगजीवन बाबू

1980 में लोकसभा का चुनाव हुआ। बाबू जगजीवन राम पार्टी के नेता थे। जनता पार्टी के टूटने से लोगों का उससे मोहभंग हुआ और इंदिरा गांधी की वापसी निश्चित थी। बाबू जगजीवन राम को नेता बनाने के मोरारजी भाई खिलाफ थे। मैं भी उनके नाम से सहमत नहीं था। चुनाव के ठीक पहले वह स्व. दिनेश सिंह की मध्यस्थता में इंदिरा जी से बात चला रहे थे। उस समय मैंने उनका विरोध किया, लेकिन पार्टी में जो समाजवादी मित्र थे, उन्होंने जयप्रकाश जी से एक पत्र मेरे नाम लिखवाया, जिसकी अत्यंत दुखद कहानी है। मैंने जयप्रकाश जी को आश्वस्त किया कि उनके आदेश का पालन होगा।

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