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करप्शन केस में FIR, परमबीर सिंह ने हाई कोर्ट का खटखटाया दरवाजा

मुंबई पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह की शिकायत पर सीबीआई ने महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार के केस में एफआईआर दर्ज की थी। अब भ्रष्टाचार के आरोप में खुद परमबीर सिंह पर केस दर्ज हुआ है। उनके अलावा डीसीपी पराग मनेरे और 26 अन्य पुलिसकर्मियों को भी आरोपी बनाया गया है। परमबीर ने एफआईआर को हाई कोर्ट में चुनौती दी है। इस पर 4 मई को सुनवाई हो सकती है। 'लेटर बम' से हिल गई थी उद्धव सरकार अकोला पुलिस कंट्रोल रूम में तैनात इंस्पेक्टर भीमराव घडगे ने पिछले सप्ताह महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री, गृह मंत्री, डीजीपी और एसीबी के चीफ को 14 पेज का लेटर भेजा था। इसमें परमबीर सिंह पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए गए थे। उसी लेटर को आधार बनाकर सिंह के खिलाफ अकोला में एफआईआर दर्ज हुई है। उन पर आपराधिक षड्यंत्र और सबूत नष्ट करने की विभिन्न धाराओं तथा अनूसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के अलग-अलग सेक्शन के तहत भी केस दर्ज किया गया है। पहले से चल रही हैं 2 जांच परमबीर सिंह के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार पहले ही दो जांच बैठा चुकी है, लेकिन उन मामलों में अभी तक एफआईआर नहीं हुई । भीमराव घडगे से जुड़ा यह पहला मामला है, जिसमें सिंह के खिलाफ केस हुआ है। इस पूरे घटनाक्रम की अहमियत यह है कि अनिल देशमुख के खिलाफ परमबीर सिंह के भ्रष्टाचार के आरोप पर सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की थी। उस केस में सीबीआई ने अन्य लोगों के अलावा बतौर गवाह अडिशनल डीजी रश्मि शुक्ला का भी हैदराबाद जाकर स्टेटमेंट लिया। क्या है मामला: - भीमराव घडगे 2015 से 2018 के दौरान ठाणे पुलिस आयुक्तालय के तहत कार्यरत थे। - उस दौरान लंबे समय तक परमबीर सिंह ठाणे के पुलिस कमिश्नर थे। - घडगे का आरोप है कि सिंह ने उस दौरान उनसे कुछ लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल नहीं करने को कहा, जिनके खिलाफ वह पहले ही एफआईआर दर्ज कर चुके थे। - जब उन्होंने यह आदेश नहीं माना, तो खुद उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करके उन्हें सस्पेंड कर दिया गया।


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