रजिस्ट्रेशन आसान हो, वैक्सीन के सुरक्षा घेरे में सब लाए जाएं

देश में 18 साल से ऊपर के सभी लोगों को टीकाकरण के दायरे में लाने की शुरुआत इस महीने की पहली तारीख से हुई, जिसे आज एक पखवाड़ा पूरा हो रहा है। पहले के दोनों चरणों में टीका लगवाने को लेकर आम जनों में कुछ हिचक दिख रही थी, लेकिन जैसे ही 18 प्लस वालों के लिए टीकों की राह खुली, यह हिचक जैसे छूमंतर हो गई। टीकाकरण शुरू होने से पहले ही 1.23 करोड़ युवा अपना रजिस्ट्रेशन करा चुके थे। चूंकि इस आयु वर्ग के लोगों के टीका लगवाने के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है, इसलिए देश भर से युवा टीके के लिए रजिस्ट्रेशन करवा रहे हैं। मगर इससे भी कहीं बड़ी संख्या उन लोगों की है, जो रजिस्ट्रेशन करवाने वालों की इस भीड़ को गुमसुम से देख रहे हैं। वे वयस्क हैं, टीका लगवाने की पात्रता रखते हैं, उनकी इच्छा भी है टीका लगवाकर संक्रमण का खतरा कम कर लेने की, लेकिन वे लाचार महसूस कर रहे हैं। टीका लगवाना तो दूर, उन्हें रजिस्ट्रेशन करवाना ही नामुमकिन सा लग रहा है। इनमें ज्यादातर ऐसे गरीब और अशिक्षित लोग हैं, जिनके पास स्मार्टफोन नहीं है। आंकड़ों की बात करें तो आज भी देश की आबादी का 56 फीसदी हिस्सा स्मार्टफोन से वंचित है। जिन लोगों ने किसी तरह सेकंडहैंड स्मार्टफोन हासिल कर लिया है, उनमें से भी बहुत से ऐसे हैं जो इसका ठीक से इस्तेमाल करना नहीं जानते। उस पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना उनके वश की बात नहीं है। जाहिर है, ऐसे तमाम लोग अभी पूरी तरह उपेक्षित महसूस कर रहे होंगे। उन्हें लग रहा होगा जैसे उनके लिए कोई सोच ही नहीं रहा। किसी लोकतांत्रिक व्यवस्था में आबादी के किसी छोटे-बड़े हिस्से की तो छोड़िए, एक भी नागरिक की ऐसी मनोदशा स्वीकार नहीं की जा सकती। इसीलिए यह मांग उपयुक्त है कि टीकाकरण के लिए रजिस्ट्रेशन की अनिवार्यता खत्म की जाए और उसकी प्रक्रिया को इतना सरल बनाया जाए कि हर व्यक्ति को वह अपनी पहुंच के अंदर महसूस हो। हालांकि सरकार का यह कहना भी गलत नहीं कि खुद रजिस्ट्रेशन न करवा पाने वाले लोग भी पंचायतों की ओर से खोले गए कॉमन सर्विस सेंटर की मदद ले सकते हैं। इसके अलावा, दोस्तों, रिश्तेदारों से भी मदद ली जा सकती है। लेकिन ज्यादा अहम बात यह है कि आज जब कोरोना की दूसरी लहर यूं ही कहर ढाए हुए है तो अस्पतालों या टीका केंद्रों पर अप्रत्याशित भीड़ न इकट्ठा हो जाए, इसलिए भी रजिस्ट्रेशन जैसी प्रक्रिया जरूरी है। उम्मीद की जानी चाहिए कि कुछ समय बाद जब टीकाकरण तेज होगा और शुरुआती भीड़ कम होगी, तब यह प्रक्रिया भी ज्यादा सहज बनाई जा सकेगी और उसमें सबका शामिल होना भी आसान होगा।
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