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जब एक लड़का-लड़की कमरे में होते हैं तो... रेप केस की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी,

नई दिल्ली दिल्ली हाई कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ अर्जी सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है जिसमें हाई कोर्ट ने मुंबई के एक पत्रकार को रेप मामले में अग्रिम जमानत दी थी। 22 साल की महिला ने रेप का आरोप लगाया है। हाई कोर्ट के अग्रिम जमानत देने के फैसले को पीड़ित महिला ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। 

शिकायती अर्जी खारिज

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस नवीन सिन्हा की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि हाई कोर्ट के फैसले में दखल का कोई कारण नहीं दिखता और शिकायती की अर्जी खारिज की जाती है। दिल्ली हाई कोर्ट ने 13 मई को पत्रकार को अग्रिम जमानत दी थी। महिला का आरोप है कि आरोपी ने चाणक्यपुरी के फाइव स्टार होटल में 20 फरवरी को रेप किया था। इस मामले में दर्ज केस में आरोपी ने अग्रिम जमानत के लिए निचली अदालत को अप्रोच किया था लेकिन वहां से अर्जी खारिज होने के बाद हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया था। 

महिला के वकील का आरोप 

वकील ने कहा कि धारा 164 के तहत बयान स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि उसने उसे संकेत दिया था कि वह एक निश्चित बिंदु से आगे नहीं जाना चाहती है। यह एक कानून है कि यौन क्रिया के हर हिस्से के लिए महिला की सहमति जरूरी है। चूंकि एक निश्चित बिंदु पर सहमति से इनकार कर दिया गया था, इसलिए अपराध को स्पष्ट रूप से बलात्कार के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा। महिला के वकील रामकृष्णन ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि आरोपी के आचरण पर भी शीर्ष अदालत को विचार करने की जरूरत है क्योंकि वह एफआईआर दर्ज होने के बाद फरार हो गया था और गिरफ्तारी वारंट से बच गया था। 

सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी

शिकायती की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर वकील ने दलील दी कि पहले आरोपी 50 दिन फरार रहा था और गैर जमानती वारंट से बचता रहा था। सुप्रीम कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी में कहा कि यह मामला साधारण मानवीय व्यवहार का है। अगर एक आदमी और औरत कमरे में हैं और आदमी आग्रह करता है और महिला उसे स्वीकार करती है तो क्या हमें और कुछ कहने की जरूरत है। लेकिन साथ ही कहा कि हम जो भी टिप्पणी कर रहे हैं वह सिर्फ बेल कैंसिलेशन के संदर्भ में है और हम अभी व्यापक मसले पर सहमति के बारे में कुछ नहीं कह रहे हैं।



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