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केंद्र की निकम्मी सरकार के लिए बोझ बना ट्विटर - शिवसेना का PM मोदी पर तंज

मुंबई के जरिये बीजेपी और मोदी सरकार पर जमकर हमला किया गया है। सामना ने लिखा है कि हिन्दुस्तानियों के जीवन के लिए ट्विटर कोई जरूरी चीज नहीं है। दुनिया के कई देशों में लोग ट्विटर का ‘ट’ भी नहीं जानते हैं। चीन, उत्तर कोरिया में ट्विटर नहीं है। अब नाइजीरिया ने भी इस सोशल मीडिया को अपने देश से खदेड़ दिया है। ट्विटर को लेकर अब अपने देश में भी तूफान खड़ा हो गया है। कल तक इस ट्विटर का महत्व बीजेपी या मोदी सरकार के लिए उनके राजनीतिक संघर्ष या अभियान की आत्मा थी। ट्विटर अब बीजेपी के लिए बोझ बन गया है और इस बोझ को फेंक दिया जाए, ऐसा फैसला करने की हद तक मोदी सरकार पहुंच गई है। 

'निरंकुश बना ट्विटर' 

सामना ने लिखा है कि देश के सभी मीडिया, प्रचार-प्रसार माध्यम आज मोदी सरकार के पूर्ण नियंत्रण में आ गए हैं, लेकिन ट्विटर जैसे माध्यम निरंकुश हैं। उस पर मोदी सरकार अथवा बीजेपी का नियंत्रण नहीं है। हिन्दुस्तान का कानून उन पर लागू नहीं होता। सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने सोशल मीडिया के लिए सख्त नियम जारी किया है। उन नियमों का पालन करें, अन्यथा कार्रवाई का सामना करें, मोदी सरकार द्वारा ऐसी चेतावनी दिए जाने के बाद भी ट्विटर वाले सुनने को तैयार नहीं हैं। हमारा कानून और हमारी अदालत अमेरिका में है। आपका भूमि कानून स्वीकार्य नहीं है, ऐसा ट्विटर वाले कहते हैं। 

'उल्टा पड़ा बीजेपी का दांव' 

सामना ने लिखा है कि सोशल मीडिया में बीते कुछ वर्षों में कीचड़ उछालने, चरित्र हनन की मुहिम चलाई जा रही है। इसका निर्माण, निर्देशन, रंगमंच, कथा-पटकथा सब कुछ बीजेपी के ही हाथ में था। फेसबुक ट्विटर, व्हाट्सएप व अन्य माध्यमों का भरपूर इस्तेमाल करने की प्रथा अन्य राजनीतिक दल जानते ही नहीं थे, उस समय (2014) बीजेपी ने इस कार्य में निपुणता हासिल कर ली थी। उस समय के प्रचार अभियान में बीजेपी की फौज धरातल पर कम लेकिन साइबर क्षेत्र में ही ज्यादा शोर मचा रही थी। भारत में ट्विटर सहित सभी सोशल मीडिया के मानो हम ही मालिक हैं और साइबर फौजों की मदद से किसी भी युद्ध, चुनाव को जीत सकते हैं, विपक्ष को कुचल सकते हैं, कुल मिलाकर ऐसा भ्रम था। 

विपक्ष पर हमला 

सामना ने लिखा है कि सोशल मीडिया के जरिये माहौल गर्म करके उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्यों के चुनाव जीते और ऐसा करते समय राजनीतिक विरोधियों की यथासंभव बदनामी की जा रही थी। उस समय ट्विटर व फेसबुक पर राहुल गांधी के लिए जैसे आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया गया वह किन नियमों के अंतर्गत आया? मनमोहन सिंह जैसे वरिष्ठ नेता के लिए कौन-कौन से विशेषण लगाए? राजनीति और समाज सेवा में जीवन बिता चुके उद्धव ठाकरे से लेकर ममता बनर्जी, शरद पवार, प्रियंका गांधी, मुलायम सिंह यादव आदि राजनीतिज्ञों के खिलाफ इस ‘ट्विटर’ आदि का इस्तेमाल करके चरित्र हनन मुहिम चलाई गई। जब तक ये हमले एकतरफा ढंग से चल रहे थे, तब तक बीजेपी वालों को गुदगुदी हो रही थी, लेकिन अब उनकी साइबर फौजों के सामने विपक्ष ने उतनी ही क्षमतावान साइबर फौजों को तैनात करके हमले शुरू किए तो बीजेपी खेमे में घबराहट मच गई। 

'बदनामी से परेशान बीजेपी' 

सामना ने लिखा है की ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री को आधे घंटे इंतजार कराया। इस पर बीजेपी और प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा नाराजगी जताए जाते ही तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा ने ट्वीट किया, ‘मोदीजी, देश की जनता पिछले सात साल से 1.5 लाख रुपए जमा होने का इंतजार कर रही है। यदि आपको आधा घंटा इंतजार करना पड़ा, तो इतना नाराज क्यों होते हैं?’ ये और ऐसे अनेक शब्द बाण सरकार अथवा बीजेपी पर छोड़े जा रहे हैं और बीजेपी इस पर नाराजगी जता रही है। विरोधियों को बदनाम करने के लिए लाखों फर्जी ट्विटर अकाउंट खोलकर अब तक बड़ा ही खेल खेला जा रहा था। उस समय कोई भी नियम या कानून आड़े नहीं आया। 

'निकम्मी है केंद्र सरकार' 

सामना ने लिखा है कि प्रधानमंत्री मोदी और उनकी केंद्र सरकार कोरोना काल में कैसे विफल रही है, निकम्मी साबित हुई है, इसे दुनिया भर में पहुंचाने का का कार्य इस बार ‘ट्विटर’ जैसे माध्यमों ने किया है। इस ‘ट्विटर’ जैसे सोशल मीडिया के कारण गंगा में बहती लाशें, वाराणसी-गुजरात में लगातार जलती चिताएं, शमशान घाटों के बाहर लगी एंबुलेंस की कतारों का हृदय विदारक दृश्य दुनिया भर में पहुंचा और बीजेपी सरकार की कार्यशैली उजागर हुई। विदेशी ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ और ‘वाशिंगटन पोस्ट’ जैसे अखबार हिंदुस्तान के बारे में निश्चित तौर पर क्या कहते हैं, यह इस ‘ट्विटर’ के कारण ही पता चलने लगा। यह इस तरह से पोल खोलने के कारण ही ‘ट्विटर’ एक वैश्विक षड्यंत्र है, ट्विटर मतलब देश को बदनाम करने, अस्थिर करने की ‘वैश्विक साजिश’ है। ऐसा हमारे शासकों को लगने लगा है तो स्वाभाविक ही है।



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