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BJP विधायकों के निलंबन पर शिवसेना का तंज- 'तुम करो तो रासलीला और हम करें तो...'

मुंबई महाराष्ट्र विधानसभा के 2 दिन के मॉनसून अधिवेशन सत्र में ऐसा लग रहा था कि विपक्ष में बैठी बीजेपी सरकार की मुश्किलें बढ़ाएगी। हालांकि हुआ इसका उलट बीजेपी धक्का- मुक्की के आरोप में बदनामी उठानी पड़ी और बैकफुट पर आना पड़ा। इस बात को लेकर शिवसेना के मुखपत्र सामना में भी भास्कर जाधव की दिल खोलकर तारीफ भी की गई है। सामना के संपादकीय में यह भी लिखा गया है कि बीजेपी के 12 विधायकों को निलंबित करके लोकतंत्र की हत्या की गई है। जिस पर शिवसेना ने सवाल उठाते हुए कहा है कि पिछले एक साल से 12 विधायकों की लिस्ट को राज्यपाल महोदय ने अपने पास रोक कर रखा हुआ है। क्या इस मामले में लोकतंत्र की हत्या नहीं हो रही है? सिर्फ विरोध करना ही आता है सामना में लिखा गया है की विधानसभा में राज्य के प्रमुख मुद्दों पर चर्चा के लिए बीजेपी के पास समय नहीं रहता है। लेकिन सदन के बाहर विरोध प्रदर्शन के लिए पर्याप्त समय होता है। राज्य में मराठा आरक्षण, ओबीसी राजनीतिक आरक्षण जैसे मुद्दों पर सिर्फ दूर से बातें करना ही बीजेपी को आता है। इन मुद्दों पर मिलकर हल निकालने के लिए बीजेपी विधानसभा में चर्चा करने के लिए जरा भी आतुर नजर नहीं आती। महाराष्ट्र का विपक्ष हर मामले में सिर्फ केंद्र का ही पक्ष रखता हुआ नजर आता है फिर चाहे वह मराठा आरक्षण का मुद्दा हो या ओबीसी आरक्षण का। इसी दांवपेंच में उनको अपने 12 विधायकों को एक साल के लिए निलंबन की कार्रवाई की भेंट भी चढ़ना पड़ा।


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