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आइसलैंड को मिला हवा से कार्बन डाइऑक्साइड सोखने वाला दुनिया का सबसे बड़ा संयंत्र

आइसलैंड में दुनिया का यह सबसे बड़ा संयंत्र हवा से सीधे कार्बन डाइऑक्साइड को ग्रहण कर रहा है, जो प्रति वर्ष 4,000 टन CO2 तक सोख सकेगा. इस संयंत्र/ प्लांट द्वारा सोखी गई कार्बन की मात्रा लगभग 790 कारों से होने वाले वार्षिक उत्सर्जन के बराबर होगी.


आइसलैंड को मिला हवा से कार्बन डाइऑक्साइड सोखने वाला दुनिया का सबसे बड़ा संयंत्र

आइसलैंड में दुनिया का यह सबसे बड़ा संयंत्र हवा से सीधे कार्बन डाइऑक्साइड को ग्रहण कर रहा है, जो प्रति वर्ष 4,000 टन CO2 तक सोख सकेगा. इस संयंत्र/ प्लांट द्वारा सोखी गई कार्बन की मात्रा लगभग 790 कारों से होने वाले वार्षिक उत्सर्जन के बराबर होगी.

jagran josh

इस दुनिया के सबसे बड़े संयंत्र ने, जो सीधे हवा से कार्बन डाइऑक्साइड को सोख सकता है और फिर इस कार्बन डाइऑक्साइड को भूमिगत जमा कर सकता है, आइसलैंड में 08 सितंबर, 2021 को अपना काम करना शुरू कर दिया है. कंपनी द्वारा नवजात हरित प्रौद्योगिकी के आधार पर यह खबर साझा की गई थी.

स्विस स्टार्ट-अप क्लाइमवर्क्स AG, जो सीधे हवा से कार्बन डाइऑक्साइड को सोखने में माहिर है, ने आइसलैंडिक कार्बन स्टोरेज फर्म 'कार्बफिक्स' के साथ भागीदारी की है.

क्लाइमवर्क्स, जिसने हाल ही में एक प्रमुख बीमा फर्म के साथ 10 साल के कार्बन हटाने के खरीद समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, उपभोक्ताओं को मासिक भुगतान के माध्यम से कार्बन हटाने के लिए भुगतान करने की अनुमति देने वाली सदस्यता सेवा भी प्रदान करती है.

महत्त्व

आइसलैंड का यह संयंत्र प्रति वर्ष 4,000 टन कार्बन डाइऑक्साइड को सोखने में सक्षम होगा. इस प्लांट द्वारा सोखी गई कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा लगभग 790 कारों से होने वाले वार्षिक उत्सर्जन के बराबर होगी. अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के अनुसार वर्ष, 2020 में वैश्विक CO2 उत्सर्जन कुल 31.5 बिलियन टन था.

आइसलैंड में संचालित हुआ हवा से CO2 सोखने वाला प्लांट: जानिये यह कैसे काम करेगा!

• ओर्का संयंत्र जो ऊर्जा के आइसलैंडिक कार्य का एक संदर्भ है, में आठ बड़े कंटेनर होते हैं जो दिखने में शिपिंग उद्योग में उपयोग किए जाने वाले कंटेनर के समान होते हैं.
• यह संयंत्र हवा से सीधे कार्बन डाइऑक्साइड सोखने के लिए उच्च तकनीक वाले फिल्टर और पंखों का इस्तेमाल करेगा.  
• इस तरह से पृथक कार्बन को फिर पानी के साथ मिश्रित किया जाएगा और फिर, पंप के माध्यम से भूमि की गहराई में छोड़ दिया जाएगा, जहां यह धीरे-धीरे एक चट्टान में बदल जाएगा.
• ये दोनों ही प्रौद्योगिकियां पास के भूतापीय संयंत्र से प्राप्त अक्षय ऊर्जा द्वारा संचालित होंगी.

यह डायरेक्ट एयर कैप्चर अर्थात सीधे हवा से कार्बन सोखने की तकनीक क्या है?

यह उन कुछ तकनीकों में से एक है जो सीधे वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड सोख लेती है. इस प्रौद्योगिकी को वैज्ञानिकों द्वारा ग्लोबल वार्मिंग को सीमित करने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है.  ग्लोबल वार्मिंग को जंगल की आग, हीटवेव, समुद्र के बढ़ते स्तर और बाढ़ के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है.

डायरेक्ट एयर कैप्चर अभी भी एक महंगी तकनीक है. हालांकि, इसके डेवलपर्स को यह उम्मीद है कि, अधिकांश उपभोक्ता और कंपनियां अपने कार्बन उत्सर्जन को कम करने की कोशिश कर रहे हैं.

अमेरिका में डायरेक्ट एयर-कैप्चर सुविधा

ऑक्सिडेंटल, US ऑयल फर्म, वर्तमान में सबसे बड़ी डायरेक्ट एयर-कैप्चर सुविधा विकसित कर रही है. यह अपने कुछ टेक्सास ऑयलफील्ड्स के पास खुली हवा से प्रति वर्ष 01 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड सोखेगी.


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