Indore High Court: इंदौर में 450 करोड़ की लागत से बना बीआरटीएस सही या गलत, बहस 28 अक्टूबर को

Indore High Court: साढ़े चार सौ करोड़ की लागत से तैयार बीआरटीएस सही है या गलत, हाई कोर्ट इस संबंध में 28 अक्टूबर को अंतिम बहस सुनेगी। इस प्रोजेक्ट को चुनौती देने वाली दो जनहित याचिकाओं में मंगलवार को सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता ने कोर्ट से कहा कि वे याचिकाओं में उठाए गए सभी 32 बिंदुओं पर नहीं बल्कि इनमें से सिर्फ चार बिंदुओं पर बहस चाहते हैं। इससे न्यायालय का समय बचेगा और सालों से लंबित याचिकाओं का शीघ्रता से निराकरण हो सकेगा। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को इसकी अनुमति देते हुए कहा कि वे सरकारी वकील को उन बिंदुओं की लिखित जानकारी दे दें जिन पर वे बहस चाहते हैं। कोर्ट अब मामले में 28 अक्टूबर को अंतिम बहस सुनेगी।
बीआरटीएस प्रोजेक्ट को लेकर हाई कोर्ट में दो जनहित याचिकाएं चल रही हैं। दोनों ही सामाजिक कार्यकर्ता किशोर कोडवानी ने दायर की हैं। दोनों ही याचिकाओं में कुल 32 बिंदुओं के माध्यम से बीआरटीएस प्रोजेक्ट को चुनौती दी गई है। कहा है कि शहर की दो प्रतिशत जनता के लिए सरकार ने 48 प्रतिशत सड़क पर बीआरटीएस बना रखा है। यह आम आदमी के समानता के अधिकार का हनन है। इस प्रोजेक्ट की वजह से जितने लोगों को फायदा पहुंच रहा है उससे कहीं ज्यादा लोग इसका नुकसान उठा रहे हैं।
ये हैं चार बिंदु जिन पर कोडवानी बहस चाहते हैं
-बीआरटीएस की वजह से आम व्यक्ति के मौलिक अधिकार का हनन हो रहा है। दो प्रतिशत जनता के लिए 48 प्रतिशत सड़क पर बीआरटीएस बनाया गया। 98 प्रतिशत के लिए सिर्फ 52 प्रतिशत सड़क बची है। सड़क पर पैदल यात्रियों और साइकिल चालकों के लिए जगह ही नहीं बची।
-बीआरटीएस को बनाने का उद्देश्य ही पूरा नहीं हुआ क्योंकि आज शहर के लिए एलिवेटेड ब्रिजों की जरूरत महसूस की जा रही है। शासन को भी इसका इसका अहसास है क्योंकि बीआरटीएस 23 किमी बनना था लेकिन 11.5 किमी के बाद इसे रोक दिया गया।
-बीआरटीएस प्रोजेक्ट ही अवैधानिक है।
-मास्टर प्लान के मुताबिक सड़कों का निर्माण नहीं हुआ है।