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Khasara Khatoni MP: मध्य प्रदेश में नौ लाख खसरों में दर्ज ही नहीं भूमि मालिक कौन, होगी खोज




Khasara Khatoni MP: मध्य प्रदेश में नौ लाख खसरों में दर्ज ही नहीं भूमि मालिक कौन, होगी खोज

Khasara Khatoni MP: भोपाल (राज्य ब्यूरो)। मध्य प्रदेश में लगभग नौ लाख खसरे ऐसे हैं, जिनमें यह दर्ज ही नहीं है कि भूमि का मालिक कौन हैं। भूमि सरकारी है या फिर निजी। इसी तरह कई गांव के नक्शे और खसरे में भूखंडों की संख्या में काफी अंतर है। राजस्व रिकार्ड में इस तरह की गड़बड़ियों को सरकार अब अभियान चलाकर ठीक करेगी। इसके लिए राजस्व विभाग ने कलेक्टर, तहसीलदार और पटवारी के स्तर पर सर्वे कराकर भूमि संबंधी रिकार्ड को दुरुस्त करने का कार्यक्रम बनाया है। प्रदेश में भू-अभिलेखों का संधारण भूलेख पोर्टल के माध्यम से किया जा रहा है।

खसरा, नक्शा, खतौनी, अधिकार अभिलेख की प्रतिलिपि डिजिटल हस्ताक्षर से उपलब्ध कराई जा रही है। इसके लिए खसरों में जो भी परिवर्तन होते हैं, उसका भू-अभिलेखों में दर्ज होना अनिवार्य है। राजस्व विभाग ने जब पड़ताल की तो पता लगा कि लगभग नौ लाख खसरों में भूमि स्वामी का नाम ही नहीं है। उधर, निजी भूमि का नामांतरण आसानी हो जाता है, पर शासकीय भूमि की प्रक्रिया जटिल है।

इसके मद्देनजर तय किया गया है कि सर्वे कराकर प्रत्येक खसरे में भूमि स्वामी का नाम दर्ज किया जाएगा। जिन नामों में अशुद्धियां हैं, उनमें सुधार किया जाएगा। इसके लिए आवेदन लेकर राजस्व न्यायालय में आदेश पारित किए जाएंगे। भूलेख पोर्टल पर जानकारी दर्ज होगी और फिर खसरे को अंतिम रूप दिया जाएगा। आयुक्त भू-अभिलेख ज्ञानेश्वर पी पाटिल ने बताया कि यदि खसरे में किसी तरह भी तरह की अशुद्धि होती है तो साफ्टवेयर उस खसरे को प्रदर्शित ही नहीं करता है। कई खसरों में भूमि स्वामी के नाम प्रदर्शित नहीं हो रहे हैं।


सवा दो लाख से ज्यादा खसरों का वर्गीकरण ही नहीं

प्रदेश में सवा दो लाख से ज्यादा खसरे ऐसे भी हैं, जिनका वर्गीकरण ही नहीं है। ये शासकीय हैं या निजी, यह भी स्पष्ट नहीं है। इसमें सुधार की प्रक्रिया चल रही है। खसरे का वर्गीकरण शासकीय, निजी या अन्य में किया जाएगा। इसके साथ ही भूमि स्वामी में अब शासकीय, संस्था, आधिपत्य किसान, वक्फ संपत्ति, शासकीय पट्टेदार, भूदानधारी, देवस्थान, अस्थाई पट्टेदार, आबादी, सेवा खातेदार आदि के रूप में स्पष्ट उल्लेख किया जाएगा।



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