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Gwalior Fertilizer shortage News: खाद की कालाबाजारी करने वालों पर लगेगी रासुका, रोहित-मोहित ट्रेडिंग कंपनी पर होगी कार्रवाई

 

Gwalior Fertilizer shortage News: कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह कहा कि खाद की कालाबाजारी और वितरण में गड़बड़ी करने वालों पर रासुका ( राष्ट्रीय सुरक्षा कानून) लगाई जाएगी। उन्होंने जिला प्रशासन , किसान कल्याण एवं कृषि विकास , सहकारिता तथा खाद वितरण से जुड़े अन्य विभागों के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि खाद वितरण पर कड़ी निगरानी रखें।

 जिस भी खाद दुकान पर गड़बड़ी दिखे उसके संचालक के खिलाफ पुलिस में एफआईआर दर्ज कराएं, साथ ही रासुका की कार्रवाई भी प्रस्तावित करें। कलेक्टर ने सोमवार की शाम रायरू में जब्त हुए खाद को जिले से बाहर भेजने की जुर्रत करने वाले खाद दुकानदारों के खिलाफ रासुका की कार्रवाई प्रस्तावित करने की हिदायत भी दी है।

वालियर में डीएपी खाद की किल्लत का पता लगाने के लिए कृषि विभाग की टीम सोमवार को पुरानी थाना क्षेत्र में भ्रमण के लिए निकली थी। टीम को पता चला कि एक टेक्टर-ट्रॉली में 84 बोरी खाद ग्वालियर से मुरैना की आेर जा रहा है। टीम ने रायरु पर खाद ले जा रहे टेक्टर-ट्रॉली को रोक लिया और किसानों से पूछताछ की तो पूरा मामला उजागर हो गया।

 किसान मुरैना के पनियावली गांव के रहने वाले थे और वह रवी की फसल के लिए डीएपी की 42 बोरी खाद दो सौ रुपए महंगा और यूरिया की 42 बोरी 30 रुपए महंगी पुरानी छावनी पर स्थित रोहित-मोहित ट्रेडिंग कंपनी से खरीदकर अपने गांव ले जा रहे थे। जिस पर कृषि विभाग की टीम ने खाद जब्त कर लिया और रोहित मोहित कंपनी के खिलाफ वैधानिक कार्रवाई करते हुए पुलिस में भी शिकायत की है। कृषि अधिकारी एमके शर्मा ने बताया कि किसानों से जब पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि रोहित मोहित ट्रेडिंग कंपनी से वह डीएपी खाद 1400 रुपए में खरीदकर लाए हैं जबकि यूरिया की बोरी 300 रुपए में खरीदी है। जबकि डीएपी खाद की वास्तविक कीमत 1200 रुपए प्रति बोरी है और यूरिया की 270 रुपए प्रति बोरी निर्धारित की गई है। जिसे ऊंचे दाम पर बेचा गया था।कृषि अधिकारी का कहना था कि शासन से हर जिले के रकवे के हिसाब से निर्धारित मात्रा में खाद उपलब्ध कराया जाता है। जिसमें 50 फीसद खाद शहकारी समितियों को और 50 फीसद पंजीकृत निजी दुकानदारों को बेचने के लिए उपलब्ध कराया जाता है। लेकिन निजी दुकानदार खाद को दूसरे जिले के किसानों केा मंहगे दाम पर बेचकर मुनाफा कमाते हैं। जिससे जिले के किसानों को खाद की अपूर्ति नहीं हो पाती है और कमी होने पर किसान परेशान होते हैं। कुछ समय ऐसी जानकारी मिल रही थी कि खाद की खपत दीगर जिले के किसानों को देकर की जा रही है इसी का पता लगाने के लिए पूरे दिन से टीम पुरानी थाना क्षेत्र में भ्रमण कर रही थी और शाम को यह पूरा मामला पकड़ में आ गया।


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