Navratri 2021 : जबलपुर के इस मंदिर में यश, वैभव, ऐशवर्य के लिए भक्त करते हैं पूजन

जबलपुर मानस भवन के बाजू में बने सोनार बाड़ी खेरमाई मंदिर में लोग यश, वैभव, ऐश्वर्य की प्राप्ति के लिए साधना करते हैं। आज भी मंदिर में लोग नवरात्र पर्व पर विशेष रूप से साधना कर मातारानी को प्रसन्न कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
इतिहास : आज जिस स्थान पर मंदिर है वहां खेरमाई की प्रतिमा जमीन से निकलने के बाद सन 1880 ईस्वी में 10 अप्रैल से 19 अप्रैल तक सोनार बाड़ी खेरमाई की स्थापना बल्देव प्रसाद पंडा ने की थी। तब यहां घना जंगल हुआ करता था। पहले सोना, चांदी का व्यापार करने वालों के लिए दक्षिण से उत्तर की ओर जाने पर मध्य स्थान था। इसलिए इसे सोनार बाड़ी खेरमाई कहा जाने लगा। यह क्षेत्र बैलगाड़ी और घोड़ा गाड़ी के रुकने का स्थान था। यहां लोगों को व्यापारियों से उच्च स्तरीय जेवर आभूषण मिल जाते थे जो आसपास विक्रय होते थे। खेरमाई की प्रतिमा लगभग 150 वर्ष प्राचीन है।
जल रही अखंड ज्योत : मंदिर में अखंड ज्योत और धूनी जल रही है। यहां आज भी गोंडी विधि और तांत्रिक मान्यताओं के अनुसार प्रतिदिन पूजन अर्चन किया जाता है। नवरात्र पर्व पर प्रत्येक दिन अलग-अलग रंगों के वस्त्र और जेवर आभूषण से विशेष मनोहारी श्रृंगार किया जाता है। देवी जी को प्रतिदिन विशेष रूप से पान के बीड़े का भोग लगाया जाता है। नवरात्र पर फलाहार भोग भक्त विशेष रूप से लगाते हैं। मंदिर में अष्टमी पर विशेष पूजन किया जाता है।
भक्तजन आकर मातारानी के पास अपनी शंकाओं का समाधान पाते हैं। नौ दिवसीय आराधना के साथ प्रतिदिन नियमित श्रृंगार आरती दर्शन का क्रम परंपरानुसार चलता है।
- संजय पंडा, पुजारी
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