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Parking Problem Indore: इंदौर में 22 लाख से ज्यादा वाहन, पार्किंग महज 19



Parking Problem Indore। शहर में वाहनों का आंकड़ा 22 लाख को पार कर चुका है और नगर निगम द्वारा बनाए गए पार्किंग की संख्या महज 19 है। शहर में पार्किंग समस्या की एक मुख्य वजह यह भी है। नगर निगम के 17 खुले पार्किंग तो कमोबेश सफल हैं, लेकिन छह स्थानों पर बनाए गए मल्टीलेवल पार्किंग में से ज्यादातर या तो खाली रहते हैं या शुरू नहीं हुए हैं। इसके अलावा स्मार्ट सिटी मिशन के अंतर्गत जिन आठ स्थानों पर मैकेनाइज्ड मल्टीलेवल पार्किंग बनाने का प्रस्ताव तैयार किया था, वह भी बहुत ज्यादा आगे बढ़ती नहीं दिख रहा है।

कुछ साल से पार्किंग की दिक्कतों ने पूर्वी क्षेत्र में भी तेजी से पैर पसारे हैं। शहर की तकरीबन हर प्रमुख सड़क पर पार्किंग की परेशानी है और काम्प्लेक्स, मॉल, होटल, अस्पताल आदि स्थानों पर आने वाले लोग सड़कों पर ही पार्किंग करते हैं। इससे ट्रैफिक जाम होता है और दूसरे लोग परेशान होते हैं। शहर की कालोनियों में भी अब गाड़ियां खड़ी करने की जगह नहीं मिलती और एक-दूसरे के घर के सामने कारें खड़ी करने को लेकर विवाद होते रहते हैं।

 विशेषज्ञ मानते हैं कि पार्किंग को लेकर अब नियमों को शिथिल करने की जरूरत है। अभी भी नहीं संभले, तो हालत और बुरे होंगे। शहर में फिलहाल 14 लाख से ज्यादा दो पहिया और साढ़े तीन लाख से ज्यादा कारें हैं। सघन बाजारों की इमारतों में नगर निगम बहुमंजिला इमारतों में पार्किंग के स्थान छुड़वाने में फैल रहा है। खासतौर पर रीगल से जवाहर मार्ग के आसपास स्थित बाजारों की ज्यादातर सड़कों और गलियों का उपयोग पार्किंग के रूप में होने लगा है।

किस पार्किंग के क्या हाल..?

मल्टीलेवल पार्किंग

1. सुभाष चौक- यह वर्तमान में नगर निगम का इकलौता सशुल्क पार्किंग है और काफी सफल है।

2. नगर निगम टैंपो स्टैंड- नि:शुल्क पार्किंग होने के बावजूद यह पार्किंग खाली रहता है। पूरी तरफ असफल।

3. होटल मैरियट के पास- उक्त पार्किंग चालू नहीं हुआ। जब पार्किंग की दुकानें बिकेंगी, फिर चालू होगा।
4. सी-21 माल के सामने- पेट्रोल पंप के पास बना यह पार्किंग भी नि:शुल्क है, लेकिन सफल नहीं रहा।

5. जवाहर मार्ग- प्रेमसुख टाकिज के पास बना यह पार्किंग नि:शुल्क है और लोग इसका आंशिक इस्तेमाल करते हैं।

6. बजाजखाना चौक- उक्त पार्किंग भी नि:शुल्क है और सफल है।

नगर निगम के हैं 17 ओपन पार्किंग
कोठारी मार्केट, मेघदूत उपवन के पास, एमटीएच कंपाउंड पुलिस क्वार्टर के पास, नेहरू पार्क, संजय सेतु, कृष्णपुरा छत्री कंपाउंड और वीर सावरकर मार्केट गेट के पीछे, राजकुमार मिल सब्जी मंडी, सरवटे बस स्टैंड रेलवे फैंसिंग के पास, पीपल्यापाला रीजनल पार्क, महाराजा काम्प्लेक्स सेमी बेसमेंट, महारानी रोड स्थित गुजराजी कालेज, नगर निगम गेट के बाहर, महू नाका स्थित तरण पुष्कर, सिरपुर तालाब बगीचे के पास, जिंसी हाट मैदान, मालगंज चौराहा के पास खुले प्लाट पर और राजमोहल्ला सब्जी मंडी। ये सभी पार्किंग सफल हैं, क्योंकि लोग मल्टीलेवल पार्किंग के बजाय सड़क किनारे वाहन खड़े करना ज्यादा पसंद करते हैं।

स्मार्ट सिटी मिशन में ये पार्किंग बनाने का है प्रस्ताव

1. मुकेरीपुरा में दो और चार पहिया वाहनों का पार्किंग (नहीं बन पाया)

2. राजमोहल्ला में दो और चार पहिया वाहनों का पार्किंग (नहीं बन पाया)

3. यशवंतगंज में दो पहिया वाहनों का मैकेनाइज्ड पार्किंग बन गया है।

4. संजय सेतु पर दो पहिया वाहनों का मैकेनाइज्ड पार्किंग बन गया है।
5. वीर सावरकर द्वार के पीछे दो और चार पहिया वाहनों का मल्टीलेवल मैकेनाइज्ड पार्किंग बनना है। अब दोबारा टेंडर बुलाने की प्रक्रिया होगी। वहां रोबोटिक पार्किंग बनाने की योजना है।

6. खजूरी बाजार- निर्माण के टेंडर ही नहीं हो पाए हैं।

7. क्लाथ मार्केट (दो पार्किंग)- नहीं बन पाए, क्योंकि ज्यादातर दुकानदार ही तैयार नहीं हैं।

(स्मार्ट सिटी मिशन में अकेले पार्किंग व्यवस्था के लिए 60 करोड़ रुपये रखे गए हैं, लेकिन अब तक केवल दो पार्किंग ही बन पाए हैं।)

ग्रेटर कैलाश रोड का भी नंबर नहीं लगा

नगर निगम द्वारा निजी-जनभागीदारी से ग्रेटर कैलाश रोड पर मैकेनाइज्ड मल्टीलेवल पार्किंग बनाने की योजना बनाई है। दो साल में इस दिशा में कुछ मैदानी काम नहीं हो सका है। अधिकारियों ने बताया कि पार्किंग निर्माण के टेंडर जल्द खोले जाएंगे।

विशेषज्ञ बोले...

मल्टीलेवल पार्किंग की जगह ग्राउंड पार्किंग बनाएं

- पार्किंग समस्या अब केवल शहर के सघन क्षेत्र की समस्या नहीं रही, बल्कि यह नए इलाकों में भी पैर पसार रही है। पार्किंग बनाने से पहले लोगों के मनोविज्ञान का भी ध्यान रखना होगा। लोग बेसमेंट या ऊपरी मंजिलों पर गाड़ियां लगाना पसंद नहीं करते। शहर में ग्राउंड पार्किंग ही सफल हैं। इसका सबसे बेहतर उदाहरण बीसीएम हाइट्स (मंगल सिटी मॉल के पीछे) देखा जा सकता है, जिसका लोग खूब उपयोग करते हैं।

- मल्टीलेवल पार्किंग ज्यादातर निजी-जनभागीदारी से बनाए जाते हैं, इसलिए उन्हें बनाने वाला नीचे दुकानें बनाता है और ऊपर पार्किंग बनाता है। इससे लोग वहां गाड़ियां रखने नहीं जाते।

- नगर निगम को चाहिए कि वह मल्टीलेवल पार्किंग बनाने के बजाय ग्राउंड पार्किंग बनाए। इसके लिए आसपास के बाजारों, काम्प्लेक्स को जोड़कर ग्रुप पार्किंग के कांसेप्ट पर भी काम किया जा सकता है।

- भूमि विकास नियम-2012 में न्यूनतम 425 वर्गमीटर क्षेत्रफल (करीब 5000 वर्गफीट) का प्लाट होने पर ही पार्किंग की ऊंचाई संबंधी छूट मिलती है। सरकार को इस नियम को शिथिल करना चाहिए। अब समय आ गया है, जब हर घर में पार्किंग हो। निकायों को सरकार को सुझाव देना चाहिए कि पार्किंग संबंधी छूट का दायरा घटाकर 1000 वर्गफीट के प्लाट पर भी दिया जाए। इससे कालोनियों में गाड़ियां खड़ी करने संबंधी समस्याओं का समाधान हो सकेगा।

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