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नेताओं की सेवा में बाबुओं ने क्या न किया...

वह साल 2002 था। यूपी विधानसभा चुनाव हो रहे थे। राज्य में बीजेपी की सरकार थी, राजनाथ सिंह मुख्यमंत्री थे। एक जिले में महिला डीएम तैनात थीं। चूंकि चुनाव हो रहे थे इसलिए वह जिला निर्वाचन अधिकारी की भूमिका में थीं, लेकिन उनकी गिनती राजनाथ सिंह के भरोसेमंद अफसरों में होती थी। मतगणना वाले दिन उनके जिले में एक सीट पर बहुत नजदीकी मुकाबला देखने को मिल रहा था। समाजवादी पार्टी का उम्मीदवार बहुत थोड़े वोटों से आगे था। इसी बीच एक ईवीएम में कुछ ऐसी तकनीकी दिक्कत खड़ी हो गई कि वह खुल ही नहीं रही थी, जिससे वोट गिने जा सकें। वैसे उस मशीन में जितने वोट थे, अगर वे सब बीजेपी को चले जाते तो भी समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार की बढ़त बनी रहती।

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