डॉक्टरों से लेकर डाइटिंग तक, सब कुछ करने के बाद भी ठीक नहीं हो रहा PCOD, तो ट्राय करें ये टिप्स

PCOS में महिला की ओवरी में एक से ज्यादा सिस्ट हो जाती हैं, जिससे उसे बच्चा पैदा करने में दिक्कत होती है। हालांकि, इस समस्या को पूरी तरह से ठीक कर पाना मुश्किल है, लेकिन जीवनशैली में कुछ सरल से बदलाव करके इसे मैनेज किया जा सकता है।

घर, बच्चे, ऑफिस में संतुलन के बीच फंसी महिलाएं दूसरों की सेहत का ध्यान तो बखूबी रखती हैं लेकिन अपने शरीर को अनदेखा कर देती हैं। अस्त-व्यस्त जीवनशैली के कारण वह कई गंभीर बीमारियों की शिकार हो जाती हैं। इनमें से एक है पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम। इसे आम भाषा में PCOS कहते हैं। PCOS महिलाओं में पाई जाने वाली आम समस्याओं में से एक है।
यह एक ऐसी कंडीशन है, जिसमें रिप्रोडक्टिव उम्र की महिलाओं के शरीर में मेल हार्मोन एंड्रोजन का लेवल बढ़ जाता है या फिर ओवरीज में एक से ज्यादा सिस्ट हो जाती हैं। दुर्भाग्य से अब तक इस समस्या का इलाज पूरी तरह से संभव नहीं है। लेकिन इसके लक्षणों को मैनेज किया जा सकता है। इसके लिए आपको बहुत ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं है, बस कुछ आदतों को बदलना होगा। हेल्थ एंड फिटनेस कोच प्रिटी नागपाल ने जीवनशैली के उन बदलावों के बारे में बताया है, जिन्हें अपनाने के बाद आप पीसीओएस के लक्षणों को मैनेज कर सकते हैं।
प्लास्टिक छोड़ें

बहुत कम लोग जानते हैं कि प्लास्टिक पीसीओएस से जूझ रही महिलाओं के लिए बहुत खतरनाक है। दरअसल, प्लास्टिक कंटेनर्स को बनाने के लिए BPA का इस्तेमाल किया जाता है। एक्सपर्ट बताते हैं कि बीपीए एक ऐसा केमिकल है, जो शरीर में हार्मोन्स को असंतुलित करने के लिए जिम्मेदार है। पीसीओएस वाली महिलाओं की बॉडी पहले से ही हार्मोन्स के प्रति संवेदनशील होती है। ऐसे में बीपीए संवेदनशीलता को और बढ़ा सकता है।
शराब और धूम्रपान से बचें

अगर आप पीसीओएस से जूझ रहे हैं, तो बहुत जरूर है कि आप एक बैलेंस लाइफस्टाइल अपनाएं। जिसमें अल्कोहल और स्मोकिंग शामिल न हो। अगर आप पार्टीज करते हैं और अल्कोहल को छोड़ना मुश्किल है, तो अपने डॉक्टर से इस बाते में बात करें और इसे मॉडरेशन में लेने की प्रैक्टिस करें।
वर्कआउट करें

विशेषज्ञ के अनुसार, एक ही जगह पर देर तक बैठे रहने वाले लोगों को
ज्यादा होती है। इससे छुटकारा पाने के लिए जरूरी है कि आप अपनी बॉडी को मूव करें। इसके लिए आप जुंबा, एरोबिक, जॉगिंग या फिर योगा जैसा कोई भी वर्कआउट चुन सकते हैं। योग में कुछ आसन आपके लिए मददगार साबित हो सकते हैं।
खान पान पर ध्यान दें

ऐसा कोई फूड नहीं है, जो पीसीआऐस के लिए सजेस्ट किया जा सकता है।
से जूझ रही महिलाओं को एक बैलेंस डाइट लेना जरूरी है। इसके लिए घर पर बना खाना अपके लिए बेस्ट ऑप्शन है। इस बीमारी से जूझ रही महिलाओं को पैकेज्ड और प्रोसेस्ड फूड को पूरी तरह से अवॉइड करना चाहिए।
खाने की आदतों में करें बदलाव

सबसे वहले सुबह उठकर एक गिलास गुनगुना पानी पीएं। आप चाहें, तो इसमें कुछ बूदें नींबू और शहद की मिला सकते हैं। यह आपकी बॉडी को डिटॉक्स करने के साथ आपको दिनभर ऊर्जा से भरपूर रखने का अच्छा तरीका है।
रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट से दूर रहें

मैदा से बनी चीजें, जैसे पास्ता, मैगी, ब्रेड, बिस्किट या आर्टिफिशियल कलर वाले फूड
पीसीओएस वाली महिलाओं के लिए खतरनाक
साबित हो सकते हैं। इसके बजाय अगर आप ज्वार, बाजरा या फिर ओटमील जैसे साबुन अनाज का सेवन करना अच्छा विकल्प है। होल ग्रेन के सेवन से न केवल वजन बल्कि इंसुलिन लेवल भी नियंत्रित रहेगा।
स्ट्रेस मैनेज करें

तनाव के चलते शरीर में मेल हार्मोन अधिक मात्रा में रिलीज होता है, जो महिलाओं की स्थिति को और भी बदतर बना सकता है। पीसीओएस से निपटने के लिए जरूरी है कि स्ट्रेस को मैनेज करें। अच्छी नींद लें और ऐसी एक्टिविटीज में शामिल हों, जो आपको बेहतर महसूस कराती हों।
यहां बताए गए जीवनशैली में बदलाव के तरीके काफी आसान हैं। यह आपके शरीर को बहुत प्रभावित करते हैं। आप इन आदतों को बिना किसी रूकावट के अपनाएं । तीन महीने के अंदर आपको पीसीओएस के लक्षणों में काफी सुधार देखने को मिलेगा।
ब्रेकफास्ट और लंच के बीच में ताजे फल खाएं

और दोपहर के भोजन के बीच लोग कुछ भी खाना अवॉइड करते हैं। लेकिन पीसीओएस वाली महिलाओं को इस बीच कुछ ताजे फल खाने चाहिए। इसके अलावा अपने लंच और डिनर में सलाद को जरूर शामिल करें।
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