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तुलसी का रस-गिलोय...डॉक्टर ने बताए खून की गंभीर बीमारी Thalassemia के 3 आयुर्वेदिक उपचार

थैलेसीमिया (Thalassemia) एक जेनेटिक बीमारी है, जो किसी बच्चे को विरासत में मिल सकती है। इसमें शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं (Red blood cell) की कमी हो जाती है। यह शरीर के रक्त में हीमोग्लोबिन नामक कम ऑक्सीजन ले जाने वाले प्रोटीन के कारण बनता है। जब पर्याप्त हीमोग्लोबिन नहीं होता है, तो शरीर की लाल रक्त कोशिकाएं ठीक से काम नहीं करती हैं और वे कम समय तक चलती हैं, इसलिए रक्तप्रवाह में स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाएं कम होती हैं।लाल रक्त कोशिकाएं शरीर की सभी कोशिकाओं तक ऑक्सीजन पहुंचाती हैं। ऑक्सीजन एक प्रकार का भोजन है, जिसका उपयोग कोशिकाएं कार्य करने के लिए करती हैं। कोशिकाओं को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलने से मरीज थका हुआ, कमजोर या सांस लेने में तकलीफ महसूस कर सकता है। यह एक स्थिति है जिसे एनीमिया (Anemia) कहा जाता है। थैलेसीमिया से पीड़ित लोगों को हल्का या गंभीर एनीमिया हो सकता है। गंभीर एनीमिया अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है और मृत्यु का कारण बन सकता है। थैलेसीमिया के कुछ प्रमुख लक्षण हैं जैसे- थकान, पीली रंग की त्वचा, गहरे रंग का मूत्र, चेहरे की हड्डी की विकृति, पेट में सूजन आदि थैलेसीमिया यह जन्मजात है और माता-पिता से बच्चों में अनुवांशिक हो जाते है।

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