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वेंटिलेटर की क्यों पड़ती है जरूरत, मरीज के ठीक होने की कितनी रहती है उम्मीद, जाने सब कुछ

भारत में स्टैंड-अप कॉमेडी (Stand-Up Comedy) को नई ऊंचाईयों पर पहुंचाने वाले कॉमेडी किंग राजू श्रीवास्तव (Raju Shrivastav) अब हमारे बीच नहीं है। 21 सितंबर बुधवार को राजू श्रीवास्तव ने दिल्ली के एम्स (AIIMS) में आंखरी सांस ली। 10 अगस्त के बाद से राजू श्रीवास्तव के तबीयत से जुड़ी कई भावूक कर देने वाली खबरे आपने भी सूनी होगी। वर्कआउट करते हुए हार्ट अटैक का शिकार हुए राजू श्रीवास्तव पिछले 41 दिनों से वेंटिलेटर (Ventilator) पर थें। एक ऐसी मशीन जिसपर मरीज को तब लेटाया जाता है जब उसका शरीर इतना कमजोर हो जाता है कि वह सांस भी लेने में समर्थ नहीं होता। इसलिए वेंटिलेटर को लाइफ सपोर्ट मशीन भी कहा जाता है। भले ही आप वेंटिलेटर से जुड़ी तकनीकी बातों से वाकिफ नहीं होंगे पर इतना तो सब जानते हैं कि मरीज को वेंटिलेटर पर रखने का मतलब है मामला कुछ बहुत ज्यादा पेचीदा हो गया है। लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं है कि मरीज की ठीक होने की उम्मीद खत्म हो जाती है। यह रिकवरी में मरीज को मदद करता है। और जैसे ही मरीज खतरे के दायरे से बाहर हो जाता है तो वेंटिलेटर हटा लिया जाता है। ऐसे में आप भी जानना चाहेंगे कि वेंटिलेटर की जरूरत आखिर कब पड़ती है? बीमारी से ठीक होने में इसकी क्या भूमिका है? वेंटिलेटर पर रखा जाना किस बात की ओर इशारा करता है? तो चलिए जानते हैं।

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