हर बात में
हर बात में
हर बात में उसी की हिकायत आ गई तुम्हें,
सुना है इश्क़ की इनायत आ गई तुम्हें।
अदावत लगी जैसे मोहब्बत की खुशबू,
ये अजब सादगी की नज़ाकत आ गई तुम्हें।
रूठ कर भी दिल को समझाने की हिदायत,
ये वफ़ा, ये मोहब्बत की रिवायत आ गई तुम्हें।
तेरी आँखों में बसा चाँद उतर आया जैसे,
रात के साथ उजालों की इबादत आ गई तुम्हें।
रात भर याद में खोकर दुआएँ दीं तुमको,
नींद में भी मोहब्बत की इनायत आ गई तुम्हें।
ख़ुशबुएँ फूलों की महका गईं राह मेरी,
जब से निगाह-ए इश्क़ की रिवायत आ गई तुम्हें।
दर्द भी अब तो लगा जैसे कोई जश्न-ए-मोहब्बत,
जब से खुशनुमा लम्हों की इनायत आ गई तुम्हें।
'राहत' हुआ मोहब्बत का सबक़ पूरा,
अहल-ए-दिल और वफ़ा की इबादत आ गई तुम्हें।
'राहत टीकमगढ़'